साथ तुम्हारे हैं कितनी बहारे
दिए तुमने ही सपने प्यारे
मुस्कान बन छाये लबों पर
आँखों में भर दिए हंसी नज़ारे
साथ यूं ही तुम रहो हमेशा
दूर हो के एक पल न गुजारें
न किसी और की मैं आस करूँ
न कोई बसे मन में तुम्हारे
तुम्हारे लिए ही धडके दिल
हर धड़कन तुमको ही पुकारे
आओ हम खाए ये कसम
टूटने न देंगे ख्वाब ये प्यारे
bahut bahut pyari gazal
ReplyDeleteshubhkamnaye
बहुत सुन्दर ग़ज़ल| धन्यवाद|
ReplyDeleteअच्छा प्रयास है. लिखते रहिए, वक्त के साथ आपके लेखन में निखार आता जाएगा.
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर तो पहली बार आई, पर बहुत अच्छा लगा. आप अच्छा लिखते हैं.
ReplyDelete'पाखी की दुनिया' में भी तो आइये !!
बहुत सुन्दर ग़ज़ल....बधाई।
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