इज्ज़त नहीं बड़ो की आम यही है
हर घर में एक शोर है कोहराम यही है
आया बुढ़ापा थक गये आजा तमाम तर
सुनते है हम बुढ़ापे का अंजाम यही है
कुछ टेबलेट्स पड़ी हुई थी उनके सराहने
पुछा कहा की वक़्त का बादाम यही है
कहते है सभी देखकर माडल अजीब है
कहते है सारे घर का तो सद्दाम यही है
चढ़ जाये उनक पेट तो मुश्किल में सभी हो
खारिज हो उनका गैस तो आराम यही है
ढाह ढाह से इनकी घर का हर एक फर्द परेशान है
घर भर को सड़ाने में तो बदनाम यही है
घर के तमाम फर्द ही करते है कुछ न कुछ
उनकी नज़र आये जो नाकाम ये ही
फफ फफ जो उनकी सुनता है कहता है बस यही
हर वक़्त बड़बढ़ाते है बस काम यही है
अरीबा बड़ो की बात को बर्दाश्त करे हम
तहजीब का तकाजा है इस्लाम यही है